जो इंडिया / नवी मुंबई। Atal Setu toll charges,
देश का सबसे लंबा समुद्री पुल — अटल सेतु, जिसे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) भी कहा जाता है, आम लोगों के लिए आर्थिक बोझ बनता जा रहा है। सरकार की यह महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसकी लागत ₹17,843 करोड़ रुपये बताई गई है, अब अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही है।
उम्मीद जताई गई थी कि इस पुल से रोज़ाना करीब 70,000 वाहन गुजरेंगे, लेकिन हकीकत यह है कि प्रतिदिन केवल 24,000 से 25,000 वाहन ही इस पुल का उपयोग कर रहे हैं। यानी, 70 प्रतिशत कम यातायात पुल पर दर्ज किया गया है।
24 जनवरी से 24 जुलाई 2025 तक अटल सेतु से 1 करोड़ 31 लाख 63 हजार 177 वाहनों ने सफर किया, जिनमें से 1.20 करोड़ से अधिक निजी चारपहिया वाहन थे। भारी टोल दरें आम यात्रियों की जेब पर भारी पड़ रही हैं। एक तरफा टोल ₹250 और वापसी के लिए ₹375 होने के कारण ओला-उबर, काली-पीली टैक्सी चालक भी इस रास्ते से बच रहे हैं।
इसके अलावा, दोपहिया और तिपहिया वाहनों की अनुमति न होना, तथा मुंबई-पुणे राजमार्ग से कमजोर संपर्क भी इसकी यातायात संख्या को प्रभावित कर रहे हैं।
यह पुल सिर्फ़ भारी मालवाहक ट्रांसपोर्ट और अमीरों की गाड़ियों के लिए ही मुफीद बन गया है। आम यात्रियों को टोल की रकम के साथ-साथ लंबा किराया चुकाना पड़ता है, जो इसे असुविधाजनक और महंगा बना देता है।