मुंबई । उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एंटीलिया बंगले के परिसर में पाए गए विस्फोटक और मनसुख हत्याकांड में आरोपी सचिन वझे के साथी बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक रियाजुद्दीन काजी को सशर्त जमानत दे दी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की अध्यक्षता वाली पीठ ने काजी को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। काजी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अप्रैल 2021 में गिरफ्तार किया था।
विशेष एनआईए अदालत द्वारा इस साल की शुरुआत में उनकी जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद काजी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और आरएन लड्डा की पीठ ने 2 दिसंबर को उनकी अपील पर सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने शुक्रवार को उस फैसले की घोषणा करते हुए काजी को राहत दी और जांच कर रही एनआईए को बड़ा झटका दिया। पीठ ने जमानत देते हुए काजी को अगले आदेश तक हर महीने के दूसरे शनिवार को एनआईए कार्यालय में पेश होने को कहा। अदालत ने उसे अपना पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया है ताकि वह देश से भाग न जाए।
– एनआईए द्वारा दायर चार्जशीट के मुताबिक, काजी के खिलाफ सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
– काजी एंटीलिया ब्लास्ट केस में जमानत पाने वाले दूसरे आरोपी हैं। इससे पहले आतंकी साजिश में इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड खरीदने के आरोपी नरेश गौर को जमानत मिल गई थी।
अदालत में मुख्य तर्क
रियाजुद्दीन काजी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम या हत्या के आरोप में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। काजी के वकील युग चौधरी और हसनैन काजी ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि उन पर लगे आरोप जमानती हैं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और एड संदेश पाटिल ने आपत्ति जताई थी। एनआईए ने दावा किया कि काजी को पूरी आपराधिक साजिश की जानकारी थी।