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Traders scared of door to door verification of GST department: जीएसटी विभाग की डोर टू डोर वैरीफिकेशन से घबराए व्यापारी, महाराष्ट्र के व्यापारिक संगठनों ने किया विरोध, 1 अगस्त से 5 करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए ई-चालान जरूरी

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मुंबई। जीएसटी विभाग(Traders scared of door to door verification of GST Department)के तरफ से सोमवार 16 मई से व्यापारियों के कार्यस्थल में डोर टू डोर (door to door)जाकर वेरिफिकेशन किया जाने वाला है। इससे व्यापारियों में घबराहट फैली हुई है जीएसटी नंबर देने से पहले वेरिफिकेशन किया जाता है इसके बावजूद विभाग द्वारा यह प्रक्रिया दोहराने के पीछे क्या मंशा है, इसको लेकर व्यापारियों ने सवाल खड़े किए है। व्यापारियों को भय है कि विभाग की यह मुहिम सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी। जो कंपनियाँ हर महीने निरंतर अपनी जीएसटी रिटर्न दाखिल कर रही है तथा वरिफिकेशन की प्रक्रिया जी एस टी नंबर लेने के समय पूर्ण कर चुकी हैं, उनका दोबारा वेरिफिकेशन क्यों किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि जीएसटी वेरिफिकेशन के समय पैन कार्ड, जीएसटी सर्टिफिकेट, बोर्ड, आधार कार्ड इत्यादि की जांच की जानी है, जबकि यह सभी दस्तावेज विभाग के पास पहले से ही उपलब्ध है। इसी के साथ हाल ही में जीएसटी विभाग ने पांच करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों और व्यापारियों को एक अगस्त से बी2बी लेन-देन के लिए इलेक्ट्रॉनिक चालान यानी ई-इनवॉयस जारी करने के लिए आदेश दिया है। अभी तक 10 करोड़ रुपए या अधिक के कारोबार वाली इकाइयों को ई-चालान निकालना होता है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार बी2बी लेनदेन के लिए ई-चालान की सीमा को 10 करोड़ से घटाकर पांच करोड़ रुपए कर दी गई है। इससे ई-चालान के दायरे में प्रदेश के लाखों छोटे व मझोले व्यापारी आ जाएंगे। बता दें, शुरू में 500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार वाली कंपनियों के लिए ई-चालान लागू किया गया था। तीन साल में इसकी सीमा को घटाकर पांच करोड़ रुपए कर दिया गया है। उधर, ई-चालान के लिए टर्नओवर सीमा घटाने का व्यापारिक संगठनों ने – विरोध शुरूवीकर दिया है। इनका कहना है कि इससे व्यापारियों को परेशानी होगी, क्योंकि 5 करोड़ का टर्नओवर होनेके बाद भी ई-चालान नहीं बनाया तो प्रत्येक इनवॉयस पर 50 हजार रुपए की पेनल्टी लगेगी।

कैट के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष महेश बखाई कहना है कि टर्नओवर का मतलब मुनाफा नहीं होता। छोटे व्यापारियों का भी सालभर में टर्नओवर 5 करोड़ से ज्यादा हो सकता है। लेकिन इनको ई-इनवॉयस का ज्ञान नहीं है। इसलिए टर्नओवर सीमा कम नहीं करनी चाहिए।व्यापारियों का कहना है कि ई-इनवॉइस के लिए टर्नओवर की सीमा घटाने से छोटे व्यापारियों पर इंस्पेक्टर राज का शिकंजा कसेगा। व्यापारियों की अकाउंटिंग की लागत बढ़ेगी। इसका भार उपभोक्ताओं पर ही आएगा। व्यापारियों ने जीएसटी का स्वागत इसके पहले के वेट एवं अन्य कर प्रणाली में हो रहे व्यापारियों के उत्पीड़न से राहत मिलेगी इसलिए किया था लेकिन जीएसटी में भी व्यापारियों की हालत ज्यों की त्यों है। लगातार किए जा रहे संशोधनों से व्यापारियों की तकलीफें बढ़ रही है।

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