जो इंडिया / मुंबई
मुंबई के वीर जिजामाता उद्यान (रानीबाग) में 2014 के बाद से सिंहों की दहाड़ नहीं सुनाई दी है। आखिरी सिंहनी ‘जिमी’ की मौत के बाद मनपा प्रशासन अब तक नए सिंह लाने में असफल रहा है। जूनागढ़ स्थित साकरबाग प्राणी संग्रहालय से सिंहों की जोड़ी लाने की योजना बनी थी, लेकिन मनपा की लचर कार्यशैली के चलते यह अब तक अधूरी है।
मनपा ने जूनागढ़ से सिंह लाने के बदले दो ज़ेब्रा देने का समझौता किया था, लेकिन खुद रानीबाग में ज़ेब्रा नहीं ला पाई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल से ज़ेब्रा मंगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस (AHS) बीमारी के खतरे को देखते हुए इसे खारिज कर दिया। अब यूरोप और अमेरिका से ज़ेब्रा लाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे लागत और देरी बढ़ गई है।
मनपा की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
थाईलैंड की एक कंपनी को ज़ेब्रा लाने का ठेका दिया गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। पहले 4 ज़ेब्रा मंगाने के लिए 80 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान था, लेकिन अब नई प्रक्रिया के कारण यह खर्च और बढ़ सकता है। इस देरी का सीधा असर सिंहों की उपलब्धता पर पड़ा है।
11 साल से इंतजार जारी
2010 में सिंहनी ‘अनिता’ और 2014 में ‘जिमी’ की मौत के बाद से रानीबाग में सिंहों की संख्या शून्य हो गई है। गुजरात और इंदौर के चिड़ियाघरों से दो-दो सिंह लाने की योजना भी इसी वजह से अटकी पड़ी है। मनपा की नाकामी के कारण 11 साल बाद भी रानीबाग वीरान पड़ा है, जबकि पर्यटक और मुंबईकर सिंहों की गर्जना सुनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।