जो इंडिया / मुंबई:
इस फैसले को रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़ा ‘ईवी शॉक’ माना जा रहा है। कई बिल्डरों ने इस कदम को “सरकार की तुगलकी साजिश” तक करार दे दिया है।
प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में नया दबाव
राज्य सरकार का तर्क है कि यह कदम प्रदूषण पर नियंत्रण और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है। इससे पहले महा विकास आघाड़ी सरकार ने एक ईवी नीति तैयार की थी, जो महायुति के सत्ता में आने के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अब नई ईवी नीति लाने की तैयारी है, जिसमें बिल्डरों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
परिवहन मंत्री का बयान
राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने स्पष्ट किया है कि “हर बिल्डर को अपनी हाउसिंग और कमर्शियल परियोजनाओं के पार्किंग जोन में ईवी चार्जिंग पॉइंट लगाना अनिवार्य किया जाएगा। ऐसा न करने पर एनओसी नहीं दी जाएगी।”
नई नीति में और भी होंगे प्रावधान
जल्द ही राज्य सरकार इस संबंध में एक नई नीति जारी करेगी, जिसमें ईवी पॉइंट के अलावा अन्य पर्यावरण-संबंधित मुद्दों को भी शामिल किया जाएगा।
रियल एस्टेट क्षेत्र में नाराजगी
इस निर्णय से बिल्डरों में भारी असंतोष देखा जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी बिल्डरों के कंधे पर डाल रही है, जिससे लागत बढ़ेगी और प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है।