मुंबई । शिंदे- फडणवीस (ईडी) ( eknath shinde -devendra fadanvis govt.) सरकार के लापरवाही के चलते महाराष्ट्र (Maharashtra)की आज घोर उपेक्षा हुई है। महाविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल में शिवसेना नेता, युवासेना प्रमुख और तत्कालीन मंत्री आदित्य ठाकरे के प्रयत्न से राज्य में वेदांता फॉक्सकॉन की सेमीकंडकटर परियोजना (vedanta- foxcon semiconductor project) का आना लगभग पूरी तरह तय हो चुका था लेकिन इस परियोजना पर अब भाजपा ने हाथ मार लिया है। इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi and home minister amit shah) और गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में गुजरात ले जाया गया है। इससे राज्य में दो लाख युवाओं को नौकरी से वंचित होना पड़ा है।
उन्होंने ईडी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वेदांता फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना को राज्य में लाया जाए, इसके लिए हमने पूरी कोशिश की थी। शिवसेना नेता व तत्कालीन उद्योग मंत्री सुभाष देसाई और वेदांता कंपनी के साथ कई बार बैठकर हुई थी। उस बैठक मे मैं भी उपस्थित था। 11 जनवरी 2022 को उक्त कंपनी के साथ मराठवाड़ा और विदर्भ में कई जगहों का सर्वेक्षण भी किया गया। पुणे के तलेगांव की जगह निश्चित कर दी गई थी। यह परियोजना महाराष्ट्र में आएगी ऐसा 95 प्रतिशत से ज्यादा निश्चित हो गया था। सिर्फ अंतिम हस्ताक्षर बाकी था। इसके बाद कंपनी भी परियोजना का काम पुणे में शुरू करने वाली थी।
महाराष्ट्र के बाहर गया कैसे
वेदान्ता रिसोर्स लिमिटेड कंपनी के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल के ट्वीट पर घोषणा के साथ ही यह साबित हो गया कि वेदांता फॉक्सकॉन कंपनी अपना सेमीकंडक्टर परियोजना गुजरात में लगाएगी। वेदांता रिसोर्स लिमिटेड के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। जिस पर आदित्य ठाकरे ने दखल दिया। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि वेदांत समूह के फैसले से वह हैरान हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें खुशी है कि भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए परियोजना शुरू हो रही है। हालांकि, एक झटका लगा है क्योंकि यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से बाहर चला गया है। महा विकास अघाड़ी सरकार के दौरान, मैंने इस परियोजना को महाराष्ट्र में लाने के लिए उद्योग मंत्री सुभाष देसाई के साथ बैठकें कीं। महाराष्ट्र में इस प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर सब कुछ फाइनल हो गया था। फिर अंतिम क्षण में यह गुजरात मे कैसे गया। ऐसा सवाल आदित्य ठाकरे ने उपस्थित किया। पौने दो लाख करोड़ रुपये की यह परियोजना थी, इसके अलावा 17 अन्य उधोग इसके साथ होते। लेकिन इसके जाने से दो लाख युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा है।इतना बड़ा प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के बाहर जाना दुखद है। उन्होंने कहा कि फिल्म ‘बाजीगर’ में एक डायलॉग है। ‘हारकर जीतनेवाले को बाजीगर कहते हैं’। लेकिन इस परियोजना के मामले में,यह डायलॉग कुछ इस तरह होगा ‘जीत के हरनेवाले को खोखे सरकार कहते है’
खुदके लिए खोखे, महाराष्ट्र को धोखे
उन्होंने कहा कि जहां बड़े उद्योग बाहर जा रहे हैं, वहीं राज्य में ‘खोखे’ सरकार राजनीति और घर-घर में घूमने में व्यस्त है। राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या गंभीर हो गई है। प्रशासन या कानून व्यवस्था पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। यह माहौल महाराष्ट्र के विकास के लिए ठीक नहीं है। आनेवाले समय में क्यूबिक एयरबस जैसों परियोजनाएं कम से कम महाराष्ट्र में आने ही चाहिए। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान भी मुंबई के कई उद्योग अहमदाबाद चले गए। यह सरकार ‘अपने लिए खोखे और महाराष्ट्र के लिए धोखे’ की सरकार है। उन्होंने कहा कि पिस्तौल निकालना, धक्का-मुक्की और गुंडागर्दी की भाषा छोड़कर राज्य में बड़े उद्योग लाए, ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। ऐसी मैं खोखे सरकार से विनती करता हूं।