देवनार में साकार होगा ‘बायोरेमेडिएशन टेक्नोलॉजी
महानगर मुंबई के कचरे को समाहित करने वाली गोवंडी स्थित देवनार डंपिंग ग्राउंड में आग लगने, प्रदूषण और वहां से कचरे की बदबू को लेकर आसपास के लोगों की खूब शिकायत रहती है। मनपा ने इन तीनो समस्याओं को एक साथ हल करने की जुगति लगाई है। मनपा यहां क्षेत्र में बदबू और प्रदूषण को रोकने के लिए बायोरेमेडीएशन तकनीक का उपयोग करने जा रही है। हालही में मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने इसके लिए एंजाइम बायोरेमेडीएशन आधारित एंजाइम (लसलसा पदार्थ) खरीदने के महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस निर्णय से देवनार डंपिंग ग्राउंड क्षेत्र के आसपास शिवाजीनगर, बैगनवाड़ी आदि इलाकों के निवासियों को उक्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी।
बीमारियों से भी छुटकारा
मनपा के इस उपाय से स्थानीय लोगों को प्रदूषण, आग के धुएं और बदबू के साथ इनसे होने वाली बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी। यहां होने वाले प्रदूषण और धुएं से बड़े पैमाने पर लोगों को अस्थमा, सांस लेने की दिक्कतें, हॄदय रोग आदि होता है। मनपा के इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव की स्वीकृति से क्षेत्र के हजारों लोगों को राहत मिलेगी।
देवनार डंपिंग ग्राउंड 120 हेक्टर में फैला
बतादें देवनार डंपिंग ग्राउंड मनपा का सबसे बड़ा डंपिंग ग्राउंड है। 120 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले इस डंपिंग ग्राउंड में प्रतिदिन लगभग 500 से 700 मीट्रिक टन कचरा मुंबई के अलग अलग हिस्सों से लाया जाता है। यहां कचरे को खपाने के लिए तरह तरह की तकनीकी उपयोग में लाई जाएगी। यहां विभिन्न कारणों से आये दिन आग की घटना होती है। बड़ी आग होने पर धुएं का प्रदूषण बढ़ जाता है। क्षेत्र में बदबू की समस्या भी बढ़ती है।
कैसे काम करेगी तकनीकी
देवनार डंपिंग ग्राउंड में कचरे के प्राकृतिक अपघटन के परिणामस्वरूप उत्पादित लैंडफिल गैस में मीथेन की मात्रा अधिक होती है। नतीजन दहनशील मीथेन और नियमित वातावरण परिवर्तन के कारण अक्सर हवा के माध्यम से पूरे क्षेत्र में ‘पॉकेट फायर’ बन जाता हैं। इसलिए एरोबिक अपघटन के लिए नई तकनीकी बायोरेमेडीएशन को बढ़ावा दिया जाएगा। इस तकनीकी के तहत एंजाइम जैविक गंध को कम करता है और एरोबिक अपघटन को बढ़ावा देता है, जिससे मीथेन उत्सर्जन कम होता है। नतीजतन आग की घटनाओं को कम करने के लिए तकनीकी का उपयोग करने का निर्णय लिया है।