नई दिल्ली। वन नेशन, वन इलेक्शन(One Nation, One Election) (एक देश, एक चुनाव) बिल को लेकर देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस विधेयक को अब तक 32 राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है, जबकि 15 दलों ने इसका कड़ा विरोध जताया है।
YSR कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), जनता दल सेक्युलर (JDS) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख दलों में शामिल हैं जिन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का समर्थन किया है।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट), और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) सहित कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है।
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “राजवंशवादी पार्टी” ने अपने राजनीतिक हितों को देखते हुए इस ऐतिहासिक बिल का विरोध किया है।
JPC के पास भेजा जाएगा बिल:
सूत्रों के अनुसार, इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा ताकि विपक्ष के पास बाद में किसी प्रकार की शिकायत का अवसर न रहे।
मार्च 2025 के बाद संसद में पेश होगा बिल:
सूत्रों की मानें तो वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को मार्च 2025 के बाद संसद में पेश किया जाएगा और इसे पारित कराने की योजना है।
यह विधेयक लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखता है। सरकार का दावा है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी, प्रशासनिक कार्य सुचारू होंगे और देश में राजनीतिक स्थिरता आएगी।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रस्ताव संघीय ढांचे के लिए खतरा है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है।वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर देशभर में समर्थन और विरोध का दौर जारी है। मार्च 2025 में इसके संसद में पेश होने की संभावना है, लेकिन इससे पहले इस मुद्दे पर सियासी घमासान और तेज होने की उम्मीद है।