जो इंडिया / मुंबई। अपनी बेबाक राय और अलग किस्म की फिल्मों के लिए मशहूर फिल्ममेकर अनुराग कश्यप (Famous filmmaker Anurag Kashyap
डेढ़ साल की मेहनत पर पानी फेर दिया
हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में अनुराग ने बताया कि वह साल 2004 से सुकेतु मेहता की चर्चित किताब ‘‘मैक्सिमम सिटी’’ को पर्दे पर लाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर डेढ़ साल तक उन्होंने दिन-रात काम किया, खुद अपने हाथों से स्क्रिप्ट लिखी, जो करीब 900 पन्नों तक पहुंच गई।
‘‘यह सिर्फ एक शो नहीं था, बल्कि मेरे जीवन का एक सपना था। मैंने इसे अपने दिल से बनाया था, लेकिन नेटफ्लिक्स इंडिया ने बिना कोई कारण बताए इसे रोक दिया।’’
‘‘इतना भी नहीं कहा कि क्यों रोका’’
अनुराग ने आरोप लगाया कि नेटफ्लिक्स ने न तो कोई फीडबैक दिया और न ही यह बताया कि आखिर शो क्यों बंद किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इतना तो किया जा सकता था कि सामने आकर कह देते कि प्रोजेक्ट क्यों रुक रहा है। अगर कोई दिक्कत थी, तो उसे मिलकर सुलझाया जा सकता था। लेकिन यहां तो कोई बात ही नहीं की।’’
‘‘भारतीय दर्शकों की समझ नहीं’’
नेटफ्लिक्स इंडिया पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय दर्शकों की पसंद और कहानियों की गहराई की समझ ही नहीं है।
अनुराग के मुताबिक, ‘‘ये लोग वही कर रहे हैं जो कभी टीवी करता था, बस पैसे लेकर। यहां कंटेंट एल्गोरिदम से चुना जाता है, न तो कहानियों को देखा जाता है, न किसी क्रिएटिव विज़न की कद्र होती है।’’
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि नेटफ्लिक्स इंडिया जिन शोज़ पर गर्व करता है, वे उसने बनाए नहीं बल्कि खरीदे हैं। ‘कोहरा’, ‘ट्रायल बाय फायर’ और यहां तक कि ‘स्क्विड गेम’ भी नेटफ्लिक्स का ओरिजिनल नहीं बल्कि सिर्फ अक्विजिशन था। और जब नेटफ्लिक्स ने ‘स्क्विड गेम’ का अगला सीजन खुद बनाया, तो उसकी हालत सबने देख ली।’’
अब हिम्मत नहीं बची
जब उनसे पूछा गया कि क्या ‘‘मैक्सिमम सिटी’’ को दोबारा शुरू करने की कोशिश करेंगे, तो उन्होंने निराशा भरे स्वर में कहा,
‘‘अब मुझे नहीं पता। मैं उन प्रोड्यूसर्स से भी कट चुका हूं। मुझे ये तक नहीं मालूम कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट के साथ आखिरकार किया क्या।’’
नेटफ्लिक्स पर सवाल खड़े
अनुराग कश्यप का यह बयान नेटफ्लिक्स इंडिया की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। उन्होंने साफ कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अब यह समझना होगा कि केवल डेटा और एल्गोरिदम से अच्छी कहानी नहीं बनती।