जो इंडिया / हरिद्वार (उत्तराखंड)। श्रावण मास के तीसरे सोमवार पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर (Famous Mansa Devi Temple of Uttarakhand
अफवाह बनी कारण:
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि किसी ने “बिजली का तार टूट गया है” या “करंट फैल गया है” जैसी अफवाह फैला दी, जिससे भीड़ में दहशत फैल गई। लोग इधर-उधर भागने लगे और संकरी सीढ़ियों पर भगदड़ मच गई। कुछ लोग नीचे गिर गए और उनके ऊपर दर्जनों लोग चढ़ते चले गए, जिससे कई की मौके पर ही मौत हो गई।
प्रशासनिक लापरवाही का आरोप:
श्रद्धालुओं और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि श्रावण के मौके पर प्रशासन को पहले से भीड़ का अनुमान था, लेकिन भीड़ नियंत्रण की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी। पैदल मार्ग बहुत संकरा था और किसी भी इमरजेंसी के लिए कोई वैकल्पिक निकास (exit) नहीं था। इससे भगदड़ के समय बचाव कार्य करना भी मुश्किल हो गया।
मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी:
हादसे में मारे गए लोगों में 3 महिलाएं, 1 बच्चा और 4 पुरुष शामिल हैं। उनकी पहचान की प्रक्रिया जारी है। कई घायलों को AIIMS ऋषिकेश, हरिद्वार जिला अस्पताल और देहरादून के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मुआवजा और जांच:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। साथ ही घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
भीड़ प्रबंधन पर उठे सवाल:
यह हादसा एक बार फिर धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की गंभीरता को उजागर करता है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है। स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रशासन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।