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Full story dawood vs gawali: दूधवाले से डॉन बना गवली, जिससे डरता था अंडरवर्ल्ड डॉन !, अब समय से पहले ही जेल से होगा रिहा

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मुंबई। मुंबई की सरजमीं से ऐसे कई अंडरवर्ल्ड डॉन(। (Underworld don)हुए जिसके नाम सुनने भर से लोगों के पसीने छूटने लगते थे। जिसमे से एक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम(Underworld don Dawood Ibrahim) है। लेकिन यह अंडरवर्ल्ड डॉन मुंबई के डॉन अरुण गवली(don arun gawali)से कांपता था। अरुण गवली ने दाऊद ओर उसके परिवार को खुली चुनौती देते हुए उसके बहनोई का कत्ल करवा दिया था।यह डॉन अरुण गवली बीते 16 साल से जेल की सलाखों के पीछे उम्रकैद की सजा काट रहे है लेकिन अब वह समय से पहले जेल से बाहर आने वाला है। मुंबई हाई कोर्ट के नागपूर बैंच ने अरुण गवली को समय से पहले रिहा करने का आदेश दे दिया गया है। कोर्ट ने अरुण गवली की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस विनय जोशी और वृशाली जोशी की बेंच ने कहा है कि आदेश के चार सप्ताह के भीतर ही अरुण गवली को रिहा कर देना है।

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बतादे कि अरुण गवली के पिता गुलाबराव महाराष्ट्र और एमपी के सीमा पर स्थित खंडवा जिले से मुंबई काम के तलाश मे आए थे। घर की माली हालत खराब होने के कार्य पाँचवी की पढ़ाई छोड़ दी। उसके बाद घर घर जाकर दूध बेचने के कारोबार से जुड़ गए। इस बीच 1980 मे अरुण गवली का संपर्क राम नाईक गैंग से हुआ ओर उनके साथ जुड़ गए। इसी बीच दाऊद ओर छोटा राजन से दोस्ती हो गए। दाऊद के कंसाइनमेंट की देखरेख का काम करने लगा। कुछ दिनों तक दोस्ती सही चली ,लेकिन अचानक अरुण गवली के भाई गैंगवार मे मारा गया। इससे अरुण गवली काफी निराश हुआ ओर खुद का गैंग बनाने का निर्णय लिया। यही से दाऊद ओर गवली गैंग की लड़ाई शुरू हुई। गवली ने दाऊद गैंग के कई लोगों को मारा। गवली ने दाऊद गैंग को चुनौती देते हुए गवली के बहनोई की हत्या करावा दी। इसके बाद से ही दाऊद अरुण गवली ओर उसके गिरोह से कांपने लगा था। इस बीच 1993 मुंबई में बम धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम तो भारत छोड़कर भाग निकला। उसके बाद छोटा राजन भी देश छोड़ कर मलेशिया मे अपना कारीबर शुरू कर दिया। लेकिन अरुण गावली डटा रहा। उसके लिए अंडरवर्ल्ड का रास्ता साफ हो गया था। उस समय अरुण गवली और अमर नाईक का ही सिक्का चलता था। लेकिन 1996 में मुंबई पुलिस के एनकाउंटर में अमर नाईक मारा गया।इससे अरुण गवली को मौका मिल गया। शुरू मे गवली का राज मुंबई सेंट्रल के दगड़ी चाल मे चलने लगा। उसके गैंग मे सैकड़ों की संख्या मे अपराधी जुड़े।

जेल से बना डैडी ,बाहर आते ही बनाई पार्टी

अरुण गवली को 1990 मे टाडा कोर्ट ने सजा सुनाई। उसके बाद उसे पुणे के यरवाड़ा जेल मे रखा गया। गवली इसी जेल से अपना साम्राज्य चलाने लगा। यही से फिरौटी ओर कॉन्ट्रेक्ट कलिंग को अंजाम देने लगा। कैदी उसे डॉन बुलाते थे 2004 मे जेल से बाहर आते ही डैडी नाम से पहचान मिल गया। यरवाड़ा जेल मे रहते हुए पुणे के कारोबारी काफी डरे हुए थे। जेल से बाहर आते ही राजकीय पार्टी बनाई। इसी पार्टी से चिंचपोकली विधानसभा से चुनाव लड़ा ओर विधायक चुना गया। लेकिन कमलाकर जामसांडेकर की हत्या मामले मे अरुण गवली को उम्र कैद की सजा हुई थी। नागपूर जेल मे सजा काट रहा था। पिछले 16 साल से सजा काट रहा है। लेकिन गवली ने नागपुर बेंच में याचिका दायर करते हुए गवली ने महाराष्ट्र सरकार के 2006 में जारी हुए सर्कुलर का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि जिन दोषियों ने कम से कम 14 साल की सजा काट ली है और उनकी उम्र 65 साल की हो गई है, उन्हें रिहा किया जा सकता है।इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गवली को रिहा करने का आदेश दिया है। अगले सप्ताह भर मे बाहर आने के बाद मतदान करने वाला है।

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