जो इंडिया / मुंबई / नाशिक।
नाशिक में लंबे समय से भाजपा और शिंदे गुट के बीच नगर निगम चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक रस्साकशी चल रही है। लोकसभा चुनाव में गोडसे को शिंदे गुट ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के उम्मीदवार राजाभाऊ वाजे से हार गए। इस हार के बाद से ही गोडसे खेमे में नाराज़गी की खबरें आ रही थीं। अब कहा जा रहा है कि गोडसे को शिंदे गुट का नेतृत्व रास नहीं आ रहा और वे भाजपा में अपनी नई राह तलाश सकते हैं।
इन चर्चाओं पर खुद हेमंत गोडसे ने सफाई देते हुए कहा, “पिछले कुछ दिनों से अफवाहें चल रही हैं कि मैं भाजपा में जा रहा हूं। फिलहाल मैं अपने ही दल में हूं।” हालांकि उनके इस बयान के बावजूद नाशिक और मुंबई के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि गोडसे ने भाजपा नेताओं से कई बार बैठकें की हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि नाशिक नगर निगम और आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र पार्टी स्थानीय स्तर पर मजबूत नेतृत्व चाहती है और गोडसे की पकड़ शहर में अच्छी मानी जाती है। अगर गोडसे भाजपा में आते हैं तो शिंदे गुट को नाशिक में तगड़ा झटका लग सकता है।
गौरतलब है कि गोडसे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में थे और एकनाथ शिंदे के विद्रोह में शामिल होकर शिंदे गुट में चले गए थे। लेकिन नाशिक सीट हारने के बाद से ही वे हाशिए पर चल रहे हैं। भाजपा पहले ही धीरे-धीरे शिंदे गुट के प्रभाव को सीमित करने की कोशिशों में जुटी दिख रही है और गोडसे के भाजपा में आने से यह रणनीति और तेज़ हो सकती है।