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Politics: नफरत का जहर महाराष्ट्र में कौन फैला रहा है?

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बुधवार को चिखली (जिला बुलढाणा) में बारात में प्रभू श्रीराम का गाना बजाने की वजह से बरातियों पर जमकर पथराव किया गया। इससे पहले 13 मई शनिवार को विदर्भ के अकोला में एक फेसबुक पोस्ट का बहाना कर पत्थरबाजी, मारपीट, इस हिंसाचार (Politics) में एक की मौत, इसके दूसरे दिन शेवगांव (जिला नगर) में छत्रपति संभाजी महाराज जयंती के अवसर पर निकले जुलूस पर प्रचंड पथराव, उससे पहले रामनवी की पूर्वसंख्या पर छत्रपति संभाजीनगर में हिंसाचार….. महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से घट रही ये घटनाएं सामान्य लोगों को परेशान करने वाली हैं। राज्य में एकनाथ शिंदे औऱ देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी व शिवसेना की सरकार सत्ता में आने के बाद राज्य में अशांति और धार्मिक उन्माद निर्माण करने की कोशिश जानबूझकर हो रही है, इसकी ओर संकेत करने वाली ये सारी घटनाएं हैं। दिसंबर 2019 से जुलाई 2022 इन ढाई वर्षों में महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की सरकार सत्ता में थी। इस सरकार के कार्यकाल में राज्य परिवहन महामंडल के कर्मचारियों ने कई महीनों से पगार नहीं मिलने की वजह से बड़ा आंदोलन हुआ था। उस दौरान राज्य परिवहन महामंडल के 60 से अधिक कर्मचारियों ने वेतन न मिलने की वजह से आत्महत्या करने का मार्ग अख्तियार किया था। इस आंदोलन को छोड़कर राज्य सरकार के खिलाफ एक भी बड़ा आंदोलन नहीं हुआ था। शिंदे-फडणवीस सरकार सत्ता में आने के बाद 4-5 महीने में राज्य में आंदोलन, मोर्चा के माध्यम से राज्य में अशांति फैलाने की कोशिश शुरू हुई। नगर जिले के शेवगांव में धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज की जयंती की अवसर पर निकले जुलूस पर अचानक पत्थरबाजी हुई। पत्थरबाजों असामाजिकतत्वों के पास पत्थर का इतना बड़ा जखीरा देख पुलिस विभाग और ग्रामीण हैरान हो गये। मुंह पर कपड़ा लपेट कर कश्मीर में जिस तरह से पत्थरबाजी होती है ठिक उसी तरह से शेवगांव में पथराव की घटना हुई। इसका मतलब वहां कई दिनों से पत्थर जमा किये जा रहे थे। यही वजह है कि हिंसाचार फैलाने की कोशिश योजनाबद्ध तरीके से चल रही है। यह बताने के लिए किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता नहीं है। बारसू में रिफाइनरी का विरोध करने के लिए माहौल बनाने के लिए सोशल मीडिया से की गई अपील, आंदोलनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज की फैलाई गई हवा… इन सभी चीजों पर गौर करने पर शिंदे-फडणवीस सरकार को मुश्किल में लाने के लिए किस स्तर पर जाकर कोशिश की जा रही है। इसी कल्पना की जा सकती है। बारसू रिफाइनरी के लिए जगह उद्धव ठाकरे ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सुझाई थी। तब उनके खिलाफ में कोंकण और बाहर के पर्यावरण वादियों व अन्य सामाजिक संगठनों ने आवाज नहीं उठाई थी।
2014 से 2019 इन पांच वर्षों तक जब देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार सत्ता में तब हुए आंदोलन, मोर्चा विभिन्न घटनाओं में हुए हिंसाचार अभी भी बहुत सारे लोगों को याद होंगे। किसी न किसी कारण को आगे कर सरकार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन हो रहे थे। उसमें से कुछ में हिंसक घटनाएं भी हुईं। सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाई गई। फडणवीस सरकार के पास आंदोलनकर्ताओं के खिलाफ बल का इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प न रहे, पुलिस आंदोलनकारियों पर गोलीबारी करने जैसे आखिरी शस्त्र का इस्तेमाल करे इस हेतु से बहुत ही ठंडे दिमाग से साजिश रची जा रही थी। पुलिस ने यदि उस वक्त गोलीबारी की होती, तो अशांति फैलाने की साजिश सफल हो जाती। फडणवीस सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ एक भी बार गोलीबारी जैसे शस्त्र का इस्तेमाल नहीं किया। पुलिस विभाग ने बहुत ही संयम से इन सभी आंदोलनों को काबू में किया। राज्य की सत्ता पांच वर्षों तक अपने ही पास रहने वाली है यह समझने वालों को मविआ सरकार सत्ता में जाने पर बड़ा झटका लगा है। इस सदमे को अभी तक वे पचा नहीं पाये हैं। बुलढाणा जिले के चिखली में विवाद समारोह में श्रीराम का गाना बजाने पर बरातियों पर पथराव होने जैसी घटना राज्य में धार्मिक सौहार्य के वातावरण को कुछ शक्तियां बिगाड़ना चाहती हैं, यह स्पष्ट है।

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता की वजह से कांग्रेस के कई नेताओं ने महाराष्ट्र आने वाले साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में विजय का कर्नाटक पैटर्न प्रत्यक्ष रूप से साकार हो सकती है। ऐसी भविष्यवाणी की है। क्या है यह पैटर्न ? बंगलुरू में 11 अगस्त 2020 को बहुत बड़ा दंगा हुआ। कर्नाटक के कांग्रेस के एक विधायक के भतीजे ने सोशल मीडिया पर मुहम्मद पैगंबर के बारे में आपत्तिजनक पोस्ट की। इसके बाद यह दंगा भड़का। मुसलमानों की भीड़ ने पूरे बंगलुरू में दंगे की आग फैलाई। पुलिस और निजी वाहनों में आग लगा दी गई। कई स्थानों पर लूटपाट भी हुई। मुसलमानों की भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर भी हमला किया था। इस दौरान उनके हाथों में पेट्रोल बम था। इसका मतलब दंगा नियोजित ढंग से भड़काया गया था, यह स्पष्ट होता है। यह दावा राष्ट्रीय जांच एसेंजी ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया है। डेमॉक्रॅटिक पार्टी ऑफ इंडिया और पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के 17 नेताओं को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार भी किया था। बंगलुरू में करीब 43 स्थानों पर छापा मारा गया था। इस कार्रवाई में एनआईए ने एसडीपीआई/पीएफाई से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री और तलवार, चाकू व लोहे के रॉड जैसे कई शस्त्र जब्त किये थे। इसके बाद कर्नाटक में हिजाब का विवाद फैलाया गया। स्कूल, कॉलेजों में छात्राएं धार्मिक पहचाने वाले कपड़े न पहने इस प्रकार का आदेश कर्नाटक सरकार ने निकाला था। इसके विरोध में सुनियोजित ढंग से माहौल को गर्माया गया। कर्नाटक में 2019 में भाजपा सत्ता में आने के बाद से धार्मिक हिंसा के 163 घटनाएं घटी। यह तथ्य पुलिस के आंकड़ों से सामने आते हैं। 2019 में 16, 2020 में 19, 2021 में 32 और 2022 में सबसे अधिक 96 घटनाएं घटी थीं। चुनाव से पहले वाले साल में धार्मिक ध्रुवीकरण करने की सुनियोजित कोशिश हुई। इसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस सत्ता में आई यह स्पष्ट निष्कर्ष निकलता है। विद्वेष का यही पैटर्न महाराष्ट्र में भी लाने की कोशिश चल रही है। क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थ के लिए महाराष्ट्र में धार्मिक विद्वेष का विष फैलाने की गंदी कोशिश को विफल करना हम सभी का कर्तव्य है।

– केशव उपाध्ये(keshav upadhye)

मुख्य प्रवक्ते , प्रदेश भाजपा

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