वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को मुंबई हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए सीबीआई को बड़ा झटका दिया है। आईसीआईसीआई बैंक कर्ज घोटाले में
सीबीआई द्वारा धूत की गिरफ्तारी अवैध है। अदालत ने कहा है कि धूत की गिरफ्तारी फौजदारी दंड संहिता के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। इससे पहले कोचर दंपति की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया गया था। मुंबई हाईकोर्ट ने हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को जमानत दे दी थी। उस वक्त कोर्ट ने सीबीआई की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए थे। इसके तुरंत बाद धूत के वकील एड. संदीप लड्डा के माध्यम से निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील मांगी थी। धूत ने दावा किया कि सीबीआई की गिरफ्तारी दमनकारी, मनमानी और अवैध है। उनकी जमानत अर्जी का सीबीआई ने विरोध किया था।
इस मामले में न्यायाधीश रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने पिछले हफ्ते सभी दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था। खंडपीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाते हुए धूत को जमानत देते हुए बड़ी राहत दी, वहीं उन्हें गिरफ्तार करनेवाली सीबीआई को बड़ा झटका दिया।
क्या है मामला?
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों और क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल धूत की वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं प्रदान कीं। सीबीआई ने शुरू में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को इस कथित ऋण हेराफेरी मामले में गिरफ्तार किया था। धूत को 26 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने बिना किसी प्रासंगिक कारण के गिरफ्तार किया था। यह कार्रवाई आपराधिक दंड संहिता के प्रावधानों के अधीन नहीं है।
– ऐसा कहीं नहीं लगता कि सीबीआई ने धूत को आगे कोई अपराध करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए गिरफ्तार किया है।